Friday, April 30, 2010

ख्याति व बाज़ार मूल्य

उसका गुंडाराज
उसकी ख्याति है
मेरी ईमानदारी
मेरी ख्याति है
हर कोई चाहता है
बनना साझेदार उसका
मेरा नहीं
क्योंकि नए साझेदार का हित
अधिक ख्याति मे है.

उसका स्कंध
मेरी तुलना मे
बहुत कम है
क्योंकि उसकी दुकान
अच्छी चलती है
उसकी बिक्री अधिक है
वास्तविकता यह है
कि स्कंध का मूल्याङ्कन
किया जाता है
इस आधार पर
बाज़ार मूल्य व पुस्तक मूल्य
जो भी कम हो
उसका बाज़ार मूल्य अधिक है
जबकि मेरा पुस्तक मूल्य.
उसकी वास्तविकता
निहित है - स्वार्थ में
अर्थात - उसके पुस्तक मूल्य में
जबकि मेरी वास्तविकता
परमार्थ मे -
अर्थात
बाज़ार मूल्य में...

(२४ अगस्त, १९९२, हर्मंन माइनर स्कूल, भीमताल, नैनीताल, उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल)

1 comment:

  1. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

    ReplyDelete