मेरे यार,
मेरा कुछ खो गया है.
नजाने मेरे ह्रदय को,
आज क्या हो गया है.
मेरे यार
मेरा कुछ खो गया है.
एक डाक्टर,
मुझे बी पी से
पीड़ित बताता है,
दूसरा,
ह्रदय को अमरीका
ले जाता है,
सर्जन,
ऑपरेशन की
सलाह दे जाता है,
मनोवैज्ञानिक,
टेली-पेथी से
परिचित कराता है,
ज्योतिषी,
कंप्यूटर का
स्विच दबाता है,
पुलिस विभाग,
आत्महत्या का
प्रयास बताता है,
पत्रकार,
डिटेल जानने को
विवश हो जाता है,
परन्तु,
कवि,
श्रृंगार रस की
कविता सुनाता है,
अनुभव कराता है,
जिसमे उनकी
तस्वीर रहा करती थी,
मेरे ह्रदय का,
वह पुर्जा,
आज
बंद हो गया है.
मेरे यार
मेरा कुछ खो गया है.
मेरे यार
मेरा कुछ खो गया है...
(१९ फरबरी १९८८, तिलक कालोनी, सुभाष नगर, बरेली, उत्तरप्रदेश)
Really a very good one .
ReplyDeleteSo true in everybodies life.
Gr8 one.!
वाह ! कमाल की पंक्तियाँ लिखी है!
ReplyDeleteअच्छी कविता...
ReplyDeleteजो खोया वह मिल जायेगा
आज नहीं वह कल आयेगा..
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
ReplyDeleteलाजवाब पंक्तियाँ
ReplyDeleteबेहतरीन .......
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