जीवन एक चैक है
यदि सार्थक हुआ तो
समाशोधित हुआ मना जाता है
और यदि निरस्त तो
बिना भुगतान
बैंक से वापस आ जाता है.
अब तो सरकार भी बल दे रही है
जीवन के सार्थक होने पर
शायद इसीलिए
अपराध की संज्ञा में
जोड़ दिया गया है
बिना भुगतान बैंक से
वापस आ जाना
किसी चैक का
किसी जीवन का...
(२४ अगस्त, १९९२, हर्मन माइनर स्कूल, भीमताल, नैनीताल, उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल)
बहुत ही सुन्दर, शानदार और ज़ोरदार रचना लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है! इस उम्दा पोस्ट के लिए बधाई!
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