समय का पहिया घूम रहा है
गति सीमा से परे,
गति निर्भर करती है,
परिस्थितियों पर,
कई बार
गति प्रदान करने वाले
व्यक्ति पर भी,
परन्तु,
न्यूनतम व अधिकतम,
गति सीमा से परे,
कठिन है जाना.
जैसे लगता है,
रविवार २४ घंटे का नहीं होता,
बल्कि मध्य में या कभी-कभी,
प्रारम्भ में,
याचना करता है
दशमलव के प्रयोग की,
जबकि कई बार कई दिन
२४ घंटे के स्थान पर
४२ घंटे के प्रतीत होते हैं.
क्षण-घंटे-दिन-सप्ताह-माह व वर्ष,
किस प्रकार गुज़र जाते हैं,
ज्ञात होता है,
गुजरने के बाद.
यदि यह अनुभूति,
प्रारंभ में ही हो जाये,
जानिए,
आधी समस्याओं का समाधान.
आयु व समय
एक दूसरे से साक्षात्कार करते हैं
प्रायः
किस समय, कौन किसका
साक्षात्कार कर रहा है,
बता पाना कठिन है,
यदि कोई इसको समझ सके,
या स्पष्ट रूप से जान सके,
जानिये
आधी समस्याओं का समाधान...
स्वयं की आयु का ज्ञान कब होता है?
जब स्वयं द्वारा पानी दिए पेड़ की
टहनियां लहलाहतीं हैं,
फलों का लालच देकर
पास बुलाती हैं,
तब.
एक शिक्षक द्वारा पडाया गया छात्र
आसीन होता है उसके बराबर के
पद पर
तब.
मोहल्ले में पडोसी का बेटा
जो खेलता था कंचे
आँखों सामने,
अब व्यापार में पिता का
हाथ बटाता प्रतीत होता है
तब.
एक नौजवान दिखने वाले
अभिनेता का पुत्र
उसी अभिनेत्री के साथ
अभिनेता के रूप मे प्रदर्शित होता है
जिसके साथ कभी,
उसके पिता प्रदर्शित होते थे
तब.
इमारतों की मंजिलें
बढती दिखतीं हैं
तब.
सड़क की चौडाई
बढती दिखती है
तब.
रामलाल की बेटी गुडिया
जिसे कभी गोदी में खिलाता था
पुत्रवती होती है
तब.
या फिर तब
जब
माता पिता मे खिलखली
का सिलसिला
कम होता दिखाई देता है.
तब - जब
सुई में धागा डालने के लिए
माँ को चश्मे की
आवश्यकता होती है.
तब - जब
पिता को
चाय में चीनी
व सब्जी में नमक
अधिक लगता है.
तब - जब
डाक्टर अंकल से मेल अधिक
दिखता है
परिवार का.
तब - जब
स्वयं की गतिविधियाँ
दोहराई जाती हैं
स्वयं के बच्चों के द्वारा
स्वयं के शिष्यों के द्वारा.
सचमुच
समय का पहिया घूम रहा है
गति सीमा से परे
जो इस गति सीमा को
ठीक ठीक पड़ ले
जानिए
अधिकतर समस्याओं का समाधान...
(२६ सितम्बर, १९९४, शेरुब्त्से कॉलेज, कान्ग्लुंग, त्राशीगांग, भूटान, exam duty: room no 15 - 9:15 to 10 AM)
jab bacha hosh sambhalta hai..atbhi umra ka use pata hota hai...
ReplyDelete... बेहद प्रभावशाली
ReplyDeleteबेहतरीन कविता संग्रह....! आप का एक नया रूप देखने को मिला । कविता में कवि की भावनाएं झलक रही हैं । मैं कवि के नई संरचनाऍ देखने के लिए पुन: ब्लाग पर आऊंगा ।
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